Kabir Dohavali PDF
कबीर दोहावली
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कबीर के दोहे
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय।
जो मन खोजा आपना, तो मुझसे बुरा न कोय।
सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज ।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ।
बड़ा भया तो क्या भया, जैसे पेड़ खजूर ।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ।
माटी कहे कुमार से, तू क्या रोंदे मोहे ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदुंगी तोहे ।
जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय।
मरना पहिले जो मरै, अजय अमर सो होय।
Kabir Dohavali
कबीर दोहावली
ऑथर नाम – कबीरदास
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